MATA JI BHAJAN
थें तो सातु हि बहिन समेत,
आवड़ म्हारें हरख आवो माँ घण हैत ।
आवड़ माँ म्हारें सदन बिराजो घण हैत।
1
कोड घणो मन में करू माँ, धरू ध्यान दिनरात ।
हरख पधारो हैत सूं माँ, सेवक करण सनात ।
2
कदम बढावौ कर कृपा माँ, आवो अनत उमंग ।
लारे महिरख लावजौ माँ, सातु बहिनां संग ।
3
आप आयां आणंद हुवें, माँ मौत्यां बरसें मैह ।
हाथ जोड़ हाजिर रहै, माँ सारा सुख सैदैह ।
4
आप बिराजो आयने माँ, सायर करणी संग ।
हरख बजावुं हाजरी माँ, अणहद कोड उमंग ।
5
हरसित चित श्री चरण में, माँ हाजिर रहूं हमेंश ।शरणागत शिशु "जय" तणी,विनती यहि विशैष।
विनीत:- जयसिंह सिंढ़ायच मण्डा
राजसमन्द
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें